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Ath Sahitya: Path aur Prasang (Hindi)(Reprint Edition, First Published in 2014) Paperback
Author
Rajiv Ranjan Giri
Specifications
  • ISBN 13 : 9789383962747
  • year : 2016
  • language :
  • binding :
Description
इस पुस्तक से लेखक की आलोचना की व्यापकता का पता चलता है- अनीश अंकुर, पाखी विचार-विमर्श, शोध, समीक्षा, टिप्पणी और पिछले एक दशक में सर्जनात्मकता के स्तर पर हुयी पहल की विद्वतापूर्ण बौद्धिक पड़ताल- रणजीत यादव, हंस विषय की विविधता, व्यापकता, भाषा और शैली के आधार पर महत्वपूर्ण संकलन- ब्रजकिशोर झा, राष्ट्रीय सहारा भक्ति आंदोलन से लेकर समकालीन हिंदी साहित्य पर विश्लेषणपरक नजर- हिंदुस्तान सुंदर विचारों के लिए श्रम- आउटलुक एक आलोचक के निर्माण का मुकम्मल साक्ष्य। उनकी आलोचकीय प्रतिश्रुति- पुस्तक वार्ता विविध आयामी अर्थवत्ता के कारण एक सृजनात्मक परखधर्मी साहित्यिक हस्तक्षेप- समालोचन नए विमर्शों का वस्तुपरक मूल्यांकन- हमरंग.कॉम पठनीय और संग्रहणीय। साहित्य को बहुआयामी कोण से देखने, समझने और सोचने हेतु सहायक- आजकल लेखक ने गम्भीर चिंतन-मनन की क्षमता अर्जित की है- प्रो. रेवती रमण, किताब अपने वैविध्य विस्तार में लेखक ने ऐसेे कई पक्षों की ओर ध्यान आकृष्ट किया है- प्रो. कर्मेन्दु शिशिर, सबलोग लेखक संगठनों और साहित्यिक विमर्शों को प्रत्यक्ष सामाजिक परिप्रेक्ष्य में रखकर देखने की कोशिश- धर्मेन्द्र सुशांत, पुस्तक संस्कृति लेखक के अध्ययन की गहराई, वैचारिक प्रौढ़ता; समय, समाज और संस्कृति की समझ का पता चलता है- सुनील कुमार पाठक, जनसत्ता समाज और संस्कृति की पुरानी-नयी धारणाओं तथा प्रवृतियों का लेखा-जोखा- डॉ. नामदेव, प्रगतिशील वसुधा वैविध्यपूर्ण सामग्री, विविध विषयों पर, विचारपूर्ण लेखों की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण, पठनीय एवं संग्रहणीय पुस्तक - अनुपमा शर्मा, परिकथा हिंदी साहित्य को समग्र रूप से एक नए आलोचनात्मक एवं समीक्षात्मक दृष्टिकोण से देखने के लिए एक जरूरी किताब। - अमलेश प्रसाद, युद्धरत आम आदमी